पहाड़ों पर फिर आफ़त: मॉनसून ने भारी तबाही मचाई, उत्तराखंड के संवेदनशील इलाकों में दो की मौत, 69 से अधिक लापता
मॉनसून ने उत्तराखंड में फिर कहर बरपाया है। तेज बारिश, भू-स्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने चारो ओर तबाही फैला दी है। हालात अब भी नियंत्रण से बाहर नजर आ रहे हैं।
— हाल ही में चमौली और उत्तरकाशी जिलों में अचानक आई बादल फटने (cloudburst) के चलते मौत और लापता होने की खबरें मिली हैं। दो लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 69 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
— विशेषज्ञों ने इन घटनाओं को हिमालयी क्षेत्र की भौगोलिक अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास से जोड़कर देखा है। सड़क निर्माण, पर्यटक सुविधाओं के लिए धरातल व्यापक रूप से खोला जा रहा है, जिससे पारंपरिक परंपरागत भूमिकाएं बाधित हो रही हैं और आपदा की जोखिम बढ़ रही है।
स्थिति का हालिया सारांश
— चमौली और उत्तरकाशी में राहत और बचाव कार्य जारी हैं। हालात बेहद संवेदनशील हैं, क्योंकि लगातार बारिश और कमजोर भूदृश्य राहत अभियानों में बाधा डाल रहे हैं।
— इस बीच पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) की हालत भी चिंता का विषय बनकर उभरी है: बोर्ड केवल 37% स्टाफ के साथ काम कर रहा है। इस कमी के चलते संकट प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी और तत्काल प्रतिक्रिया क्षमताओं पर असर पड़ सकता है।
क्या कहा विशेषज्ञों ने
भूस्खलन के जोखिमों को मौलिक रूप से कम करने के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि:
- कठोर पर्यावरणीय नियमों को लागू करना होगा
- आपदा प्रबंधन तैयारियों में बढ़ोतरी होनी चाहिए
- विकास योजनाओं में पारंपरिक हाशिये और स्थानीय ज्ञान को शामिल करना अनिवार्य है
ये कदम भविष्य में ऐसी आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने में सहायक हो सकते हैं।
उत्तराखंड फिर से मॉनसून की चुनौतियों के बीच मज़बूत तैयारी और संवेदनशील विकास की आवश्यकता रेखांकित कर रहा है। यह प्राकृतिक अपच इन पहाड़ी इलाकों में सतर्कता, नियोजन और पर्यावरण संरक्षा की जरुरत को और अधिक स्पष्ट कर रही है।
