Kasar Devi, Uttrakhand : पूरे विश्व में एक खास ऊर्जा वाली जगह है कसारदेवी मंदिर, अल्मोड़ा, NASA ने भी माना

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उत्तराखंड : अल्मोड़ा में स्थित दूसरी शताब्दी का माँ कसार देवी मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के नक़्शे में एक खास जगह पर स्थित है । दरअसल कसार देवी मंदिर प्रसिद्ध है इस इलाके में मौजूद और महसूस होने वाली खास मैग्नेटिक एनर्जी या ऊर्जा तरंगों के लिए । नासा के मुताबिक, कसार पर्वत की धरती में विशाल भू-चुबकीय पिंड मौजूद हैं. इससे इस क्षेत्र में गुरुत्‍वाकर्षण बल बाकी जगहों के मुकाबले ज्‍यादा है. दरअसल नासा कई समय से कसार पर्वत पर वैन एलेन बेल्‍ट बनने के कारणों पर शाोध कर रहा है ।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमारी पृथ्वी कि सतह से 650 से 58000 किमी दूर तक पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के अंदर ऊर्जावान आवेशित कणों या Solar Energetic Particles’ कि 2 बेल्ट बनी हुयी है…जिन्हे वेन एलेन बेल्ट के नाम से जाना जाता है…ये बेल्ट्स बाहर से आने वाले सोलर पार्टिकल्स, सोलर और कॉस्मिक किरनो को अपने अंदर खींच कर, पृथ्वी के वायुमंडल की इनसे रक्षा करती है..माना जाता है की पूरी दुनिया में 3 ऐसी जगह है जहा पर वेन एलन बेल्ट्स का प्रभाव या उस जैसा निर्माण देखने को मिलता है ।

पहला है दुनिया के सात अजूबों में शामिल पेरू का माचू पिच्चू जो 1400 ईस्वी के आस-पास इंका सभ्यता द्वारा माचू पहाड़ पर बनाया बसाया गया एक प्राचीन शहर है, इसे लॉस्ट सिटी ऑफ़ इंकास के नाम से भी जाना जाता है । दूसरी जगह है इंग्लैंड का स्टोनहेंज…जो की पाषाण काल या स्टोन ऐज की एक दफनगाह है जिसका निर्माण लगभग 3000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक कई चरणों में हुआ । और तीसरा भारत के उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर से 8 km दूर स्थित कसारदेवी मंदिर और पर्वत !

कसारदेवी मदिर के बारे में मान्यता है की यह मंदिर यक्षों ओर गंधर्वों द्वारा स्थापित किया गया था । इसी स्थान पर माँ दुर्गा के शरीर से अवतरित माँ कौशिकी ने शुम्भ असुंभ नामक दैत्यों का वध किया था । कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष भी मिलते हैं।/ कसारदेवी भारत में 1960 और 70 के दशक के फेमस हिप्पी मूवमेंट के लिए एक लोकप्रिय स्थल था । हिप्पी आंदोलन 1960 के दशक में अमेरिका में सख्त सामाजिक मानकों के ख़िलाफ़ शुरू हुआ युवाओं का एक आंदोलन था…जो धीरे धीरे पुरे विश्व में फ़ैल गया

1890 में जब स्वामी विवेकानंद जी ज्ञान की तलाश में जब पहली बार हिमालय भ्रमण को निकले तो उन्होंने कुमाऊ उत्तराखंड को चुना वो मुख्य तौर पर कुमाऊं और अल्मोड़ा में रुके। इस दौरान स्वामी जी ने कसार देवी मंदिर के ठीक पीछे चट्टान पर एक गुफा में कई दिन ध्यान किया । जिसका वर्णन उन्होंने अपनी पुस्तकों में किया है। उनके अनुसार कसारदेवी में ध्यान के दौरान उन्हें रहस्मयी आध्यात्मिक अनुभूतियाँ हुई । मानो अटल अचल हिमालय ने उनसे साफ़ साफ़ कहा की समाज कल्याण के लिए काम किये बिना समाधी नहीं और वो समाज कल्याण की एक नयी ऊर्जा से भर गए । जिसके बाद  स्वामी विवेकानंद ने धर्म वेदांत और योग के प्रचार प्रसार के लिए देश-विदेश का भ्रमण किया ।

कसार देवी मंदिर और पर्वत अपनी इसी रहस्मयी शक्ति या ऊर्जा के लिए देश विदेश से ध्यान और ज्ञान की चाह रखने वालों अपनी ओर आकर्षित करता  है । मंदिर और साथ में बना सुन्दर शिव और भैरव मंदिर असीमित खूबसूरत नजारों और अनुभूतियों से घिरा हुआ है । मंदिर परिसर के पास ही है यहां की प्रसिद्धः  हैंगिंग रॉक, जो एक फेमस फोटो स्पॉट भी है । यहाँ से या पूरे मंदिर परिसर से आप हिमालय, अल्मोड़ा शहर और घाटियों का बयां ना किया जा सकने वाला अविस्मरणीय रूप देख सकते है   

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